ॐ वरसिद्धिविनायकाय नमः |
नमस्ते ! दुनिया के सारे हिन्दू , पढ़ना लिखना जानें या न जानें , लेकिन रामायण और राम कथा को अवश्य जानते हैं | रामायण के अनेक घटनाएं पर आधारित अनेक शब्दों का प्रयोग हर एक व्यक्ति करता है , जैसे "नाक कटना","अग्निपरीक्षा" इत्यादि | लेकिन यह एक और बात है कि अनेकों ने कभी रामायण को ग्रन्थ के रूप में नहीं पढ़ा | अगर पढ़ते भी हैं तो वे अंग्रेजी बोलने वाले हिन्दू द्वेषियों के तिरस्करण/झूटायन को ही पढ़ते हैं | इसके कारण हम एक अद्भुत, अमूल्य भंडार का आनन्द नहीं ले पाते हैं | रामायण की हर एक घटना में हमें सीखने लायक विषय मिलती हैं ; हर एक संवाद में एक सौन्दर्य है, जो हमें बहुत आनन्द देता है | चाहे वाल्मीकि रामायण हो या कोई और रामायण हो, उस काव्य को मूल रूप में पढ़ने से हमें यह पता चलता है कि आखिर क्यों श्रीरामजी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, क्यों माँ सीता एक अद्भुत नारीमणि हैं | इतना ही नहीं, हमें हमारी प्रतिदिन की जीवन को एक उत्साह के साथ , एक धार्मिक भाव के साथ और एक अर्पण के साथ जीने की मार्गदर्शन भी मिलता है |
एक दो साल पहले मैंने ऐसा ही वालमीकि रामायण का मूल ग्रन्थ (इंग्लिश अनुवाद सहित) गोरखपुर गीता प्रेस की दुकान में खरीदा | किसी क्रम का पालन किये बिना यहाँ वहां थोड़ा थोड़ा पढ़ा मैंने | उन अनुभवों को आप सभीको सुनाना चाहता हूँ | इसलिए अपने ब्लॉग को पुनर्जीवित करते हुए, एक सीरीज़ जैसे लिखने को सोच रहा हूँ | देखते हैं, कितना तक चलता है :)
एक दो साल पहले मैंने ऐसा ही वालमीकि रामायण का मूल ग्रन्थ (इंग्लिश अनुवाद सहित) गोरखपुर गीता प्रेस की दुकान में खरीदा | किसी क्रम का पालन किये बिना यहाँ वहां थोड़ा थोड़ा पढ़ा मैंने | उन अनुभवों को आप सभीको सुनाना चाहता हूँ | इसलिए अपने ब्लॉग को पुनर्जीवित करते हुए, एक सीरीज़ जैसे लिखने को सोच रहा हूँ | देखते हैं, कितना तक चलता है :)
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